Book Name:Ilm-e-Deen Kay Fazail
اَلْحَمْدُ لِلّٰہ अमीरे अहले सुन्नत, मुह़म्मद इल्यास अ़त़्त़ार क़ादिरी دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ ने हमें अपनी और दूसरों की इस्लाह़ की कोशिश में मगन रहने का ज़ेहन देते हुवे येह मदनी मक़्सद अ़त़ा फ़रमाया है कि "मुझे अपनी और सारी दुन्या के लोगों की इस्लाह़ की कोशिश करनी है । اِنْ شَآءَ اللّٰہ" आप دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ की इ़ल्म दोस्ती और इ़ल्मे दीन आ़म करने की तड़प के नतीजे में आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दा'वते इस्लामी के तह़त मुल्क व बैरूने मुल्क में सैंक्ड़ों जामिआ़तुल मदीना (लिल बनीन व लिल बनात) का क़ियाम अ़मल में लाया जा चुका है । اَلْحَمْدُ لِلّٰہ मुल्के अमीरे अहले सुन्नत समेत कई मुमालिक में 602 जामिआ़तुल मदीना क़ाइम हैं जिन में कमो बेश 52843 त़लबा व त़ालिबात दर्से निज़ामी (या'नी आ़लिम कोर्स) कर रहे हैं जब कि 8697 त़लबा व त़ालिबात ता'लीम मुकम्मल कर के सनदे फ़राग़त भी पा चुके हैं । आप भी अपना नाम ख़ुश नसीबों में दाख़िल करवाइये और अपने बच्चों को जामिअ़तुल मदीना में दाख़िल करवाइये, अपने भाइयों पर इनफ़िरादी कोशिश कीजिये और उन्हें अपने बच्चों को जामिअ़तुल मदीना में दाख़िल करवाने का ज़ेहन दीजिये । इस से जहां हर त़रफ़ इ़ल्मे दीन की रौशनी फैलेगी और जहालत के अन्धेरे दूर होंगे, वहीं आप के लिये भी सदक़ए जारिया का सिलसिला हो जाएगा । اِنْ شَآءَ اللّٰہ
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد
प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! आइये ! बयान को इख़्तिताम की त़रफ़ लाते हुवे इ़ल्म सीखने के बारे में चन्द मदनी फूल सुनने की सआ़दत ह़ासिल करती हैं । पहले 2 फ़रामीने मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ मुलाह़ज़ा कीजिये :
1. फ़रमाया : जो आदमी इ़ल्म की तलाश करने के लिये किसी रास्ते पर चले, अल्लाह पाक उस के लिये जन्नत का रास्ता आसान फ़रमा देता है । (مسلم،کتاب الذکر والدعاء،باب فضل الاجتماع… الخ،ص۱۱۱۰،حدیث:۶۸۵۳)
2. फ़रमाया : जो शख़्स इ़ल्म की त़लब में घर से निकलता है, फ़िरिश्ते उस के इस अ़मल से ख़ुश हो कर उस के लिये अपने पर बिछा देते हैं । (طبرانی کبیر ،۸/۵۵،حدیث:۷۳۵۰)
٭ इ़ल्म ह़ासिल करना भी बेहतरीन नेकी का काम है । ٭ इ़ल्म ह़ासिल करने के लिये सुवाल करना यक़ीनन बाइ़से फ़ज़ीलत है लेकिन सुवाल करने के आदाब का लिह़ाज़ करना भी ज़रूरी है । (फै़ज़ाने दाता अ़ली हजवेरी, स. 13) ٭ इ़ल्म ख़ज़ाना है और सुवाल करना इस की चाबी है । (فردوس الاخبار،۲ /۸۰، حدیث:۴۰۱۱) ٭ इ़ल्म सीखने के लिये सुवाल पूछने से शर्माना नहीं चाहिये । (आ'राबी के सुवालात और अ़रबी आक़ा के जवाबात, स. 8) ٭ ऐसे सुवालात करने से भी बचा जाए जिस का दुन्यावी या उख़रवी फ़ाइदा न हो । (आ'राबी के सुवालात और अ़रबी आक़ा के जवाबात, स. 9) ٭ इ़ल्म में ज़ियादती, तलाश से और वाक़िफ़िय्यत, सुवाल से होती है, तो जिस का तुम्हें इ़ल्म नहीं उस के बारे में जानो और जो कुछ जानते हो उस पर अ़मल करो । (جامع بیان العلم وفضلہ،۱/۱۲۲،حدیث:۴۰۲) ٭ तह़्सीले इ़ल्म के लिये बेहतरीन वक़्त इब्तिदाई जवानी, वक़्ते सह़र और मग़रिब व इ़शा के दरमियान का वक़्त है ।