Ilm-e-Deen Kay Fazail

Book Name:Ilm-e-Deen Kay Fazail

मौलाना मुह़म्मद इल्यास अ़त़्त़ार क़ादिरी रज़वी ज़ियाई دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ के अ़त़ा कर्दा "83 मदनी इनआ़मात" पर अ़मल करते हुवे रोज़ाना मदनी इनआ़मात का रिसाला पुर कर के हर मदनी माह के इख़्तिताम पर अपने दरजे की ज़िम्मेदारा को जम्अ़ करवाती हैं ।

          जामिअ़तुल मदीना (लिल बनात) की मुदर्रिसात व त़ालिबात (या'नी पढ़ाने वाली मदनिय्या इस्लामी बहनें और त़ालिबात) दा'वते इस्लामी के मुख़्तलिफ़ शो'बाजात में होने वाले मदनी कामों में ह़िस्सा लेने की सआ़दत ह़ासिल करती हैं । इस्लामी बहनों की आ़लमी मजलिसे मुशावरत के तह़त इस्लामी बहनों के 8 मदनी कामों में अ़मली त़ौर पर शामिल हो कर नेकी की दा'वत की धूमें मचाने की कोशिश करती हैं । (फ़ैज़ाने सुन्नत, स. 589, मुल्तक़त़न)

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!      صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

शैत़ानी वस्वसे और उन का इ़लाज

          प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! इ़ल्मे दीन ह़ासिल करने की बरकत से न सिर्फ़ अल्लाह पाक राज़ी होता है बल्कि रसूले बे मिसाल, बीबी आमिना के लाल صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की रिज़ा भी ह़ासिल होती है । लिहाज़ा आप भी हिम्मत कीजिये और अपनी औलाद को आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दा'वते इस्लामी के तह़त क़ाइम जामिअ़तुल मदीना में दाख़िल करवा कर ख़ुश नसीबों की फे़हरिस्त में अपना और अपनी औलाद का नाम दाख़िल करवाइये । अपने बच्चों को इ़ल्मे दीन से मह़रूम कर के दुन्यवी ता'लीम दिलवाने का मक़्सद ज़ियादा से ज़ियादा दुन्यवी माल ह़ासिल करना होता है और बद क़िस्मती से बा'ज़ वालिदैन येह समझते हैं कि अगर हमारी औलाद दीनी ता'लीम की त़रफ़ माइल हुई, तो مَعَاذَ اللّٰہ उस का मुस्तक़्बिल ख़त़रे में पड़ जाएगा ! येह घर कैसे बसाएगा ? और किस त़रह़ उसे चलाएगा ? चन्द हज़ार रुपयों में अपनी ख़्वाहिशात को कैसे पूरा कर सकेगा ? अल ग़रज़ ! इस त़रह़ के बे शुमार शैत़ानी वस्वसे आते हैं जिस के सबब बा'ज़ लोग अपने बच्चों को मुस्तक़िल त़ौर पर दीनी ता'लीम दिलवाने से मह़रूम रह जाते हैं । ऐसे वालिदैन की ख़िदमत में अ़र्ज़ है कि एक मुसलमान जब भी कोई अच्छा काम करे, उस का मक़्सद दुन्या ह़ासिल करने के बजाए अल्लाह करीम की रिज़ा ह़ासिल करना हो और ख़ास कर इ़ल्मे दीन सीखने के मुआ़मले में तो ख़ालिस रिज़ाए इलाही की ही निय्यत होनी चाहिये, जहां तक मालो दौलत का तअ़ल्लुक़ है, तो येह बात अल्लाह करीम के करम से बहुत दूर है कि वोह अपने दीन की ता'लीम ह़ासिल करने वाले को अकेला छोड़ दे, ऐसा कैसे हो सकता है ? ह़दीसे पाक में है : जो इ़ल्मे दीन ह़ासिल करेगा, अल्लाह पाक उस की मुश्किलात को आसान फ़रमा देगा और उसे वहां से रिज़्क़ अ़त़ा फ़रमाएगा, जहां उस का गुमान भी न होगा । (جامع بیانِ العلم و فضلہ، باب جامع فی فضل العلم، ص ۶۶،حدیث: ۱۹۸) आइये ! इस ज़िमन में एक वाक़िआ़ सुनिये । चुनान्चे,