Ilm-e-Deen Kay Fazail

Book Name:Ilm-e-Deen Kay Fazail

दिया । तीसरी येह कि उन (उ़लमा) की गवाही भी फ़िरिश्तों की गवाही की त़रह़ मो'तबर ठहराई । (फै़ज़ाने इ़ल्मो उ़लमा, स. 9, मुलख़्ख़सन)

          इसी त़रह़ क़ुरआने पाक में एक और मक़ाम पर अहले इ़ल्म की शानो अ़ज़मत इस त़रह़ बयान की गई है :

یَرْفَعِ اللّٰهُ الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا مِنْكُمْۙ-وَ الَّذِیْنَ اُوْتُوا الْعِلْمَ دَرَجٰتٍؕ     (پ۲۸،المجادلة:۱۱)

तर्जमए कन्ज़ुल इ़रफ़ान : अल्लाह तुम में से ईमान वालों के और उन के दरजात बुलन्द फ़रमाता है जिन्हें इ़ल्म दिया गया ।

          ह़ज़रते सय्यिदुना इबने अ़ब्बास رَضِیَ اللّٰہُ عَنْھُمَا ने फ़रमाया : उ़लमाए किराम, आ़म मोमिनीन से सात सौ दरजे बुलन्द होंगे, हर दो दरजों के दरमियान पांच सौ साल का फ़ासिला है । (قُوْتُ القلوب،الفصل الاول الحادی والثلاثون،کتاب العلم و تفضیلہ،بیان آخر فی فضل العلم۔۔۔الخ،۱/۲۴۱)

अह़ादीसे मुबारका में इ़ल्मे दीन के फ़ज़ाइल

          प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! क़ुरआने पाक के इ़लावा कसीर अह़ादीसे करीमा में भी इ़ल्मे दीन के ढेरों फ़ज़ाइल बयान हुवे हैं । आइये ! उन में से तीन फ़रामीने मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ सुनिये और अपने दिल में इ़ल्मे दीन की अहम्मिय्यत उजागर कीजिये । चुनान्चे,

1.      इरशाद फ़रमाया : जो शख़्स इ़ल्मे (दीन) की त़लब के लिये घर से निकला, तो जब तक वापस न हो, अल्लाह पाक की राह में है । (ترمذی،کتاب العلم،باب فضل طلب العلم،۴/۲۹۴،حدیث:۲۶۵۶)

2.      इरशाद फ़रमाया : जो कोई अल्लाह पाक के फ़राइज़ के तअ़ल्लुक़ से एक या दो या तीन या चार या पांच कलिमात सीखे और उसे अच्छी त़रह़ याद कर ले और फिर लोगों को सिखाए, तो वोह जन्नत में दाख़िल होगा । (الترغیب والترہیب،۱ /۵۴ ،حدیث: ۲۰ )

3.      इरशाद फ़रमाया : अल्लाह पाक क़ियामत के दिन बन्दों को उठाएगा फिर उ़लमा को अलग कर के उन से फ़रमाएगा : ऐ उ़लमा की जमाअ़त ! मैं तुम्हें जानता हूं, इसी लिये तुम्हें अपनी त़रफ़ से इ़ल्म अ़त़ा किया था और तुम्हें इस लिये इ़ल्म नहीं दिया था कि तुम्हें अ़ज़ाब में मुब्तला करूंगा, जाओ ! मैं ने तुम्हें बख़्श दिया । (جامع بیان العلم و فضلہ،ص۶۹،حدیث:۲۱۱)

        प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! बयान कर्दा अह़ादीसे करीमा से मा'लूम हुवा ! इ़ल्मे दीन ह़ासिल करना अल्लाह पाक की रिज़ा ह़ासिल करने, बख़्शिश व नजात का ज़रीआ़ और जन्नत में दाख़िले का सबब है ।

          सदरुश्शरीआ़, बदरुत़्त़रीक़ा, ह़ज़रते अ़ल्लामा मौलाना मुफ़्ती मुह़म्मद अमजद अ़ली आ'ज़मी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ इरशाद फ़रमाते हैं : इ़ल्म ऐसी चीज़ नहीं जिस की फ़ज़ीलत और ख़ूबियों के बयान करने की ह़ाजत हो, सारी दुन्या ही जानती है कि इ़ल्म बहुत बेहतर चीज़ है, इस का ह़ासिल करना बुलन्दी की अ़लामत है, येही वोह चीज़ है जिस से इन्सानी