Book Name:Janwaron Par Zulm Karna Haram He
اَلْحَمْدُ لِلّٰہ ! ह़ज़रते अ़ल्लामा मौलाना ज़ियाउद्दीन मदनी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ, अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ के मुर्शिद हैं, लाखों, करोड़ों दा'वते इस्लामी वाले इन से मह़ब्बत व अ़क़ीदत रखते हैं, इन की विलादत के मकाने आ़लीशान को ख़रीद कर दा'वते इस्लामी ने मस्जिद व मद्रसतुल मदीना में तब्दील कर दिया है । आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ ने इब्तिदाई ता'लीम अपने दादाजान से ह़ासिल की फिर सियालकोट के मश्हूर आ़लिमे दीन, ह़ज़रते अ़ल्लामा मौलाना मुह़म्मद ह़ुसैन नक़्शबन्दी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ से पढ़ा, इस के बा'द मश्हूर मुह़द्दिस, ह़ज़रते अ़ल्लामा वसी अह़मद मुह़द्दिसे सूरती رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ के ह़ल्क़ए दर्स में शामिल हो गए और तक़रीबन चार साल तक उन से ता'लीम ह़ासिल करने का सिलसिला जारी रहा । (सय्यिदी ज़ियाउद्दीन अह़मद अल क़ादिरी, 1 / 167, मुलख़्ख़सन)
सय्यिदी क़ुत़्बे मदीना رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ निहायत ही पसन्दीदा ख़ूबियों और बेहतरीन अख़्लाक़ वाले थे, हमेशा यादे ख़ुदा में डूबे रहते, रातों को जाग कर इ़बादत करने वाले और तहज्जुद पढ़ने वाले बुज़ुर्ग थे, इशराक़, चाश्त और अव्वाबीन की नमाज़ें अदा करना आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ का मा'मूल था, कमज़ोरी और बुढ़ापे के बा वुजूद हर इस्लामी महीने की 13, 14, 15 तारीख़ के रोज़े नहीं छोड़ते थे । (सय्यिदी ज़ियाउद्दीन अह़मद अल क़ादिरी, 1 / 486, मुलख़्ख़सन)
4 ज़ुल ह़िज्जतिल ह़राम सिने 1401 हि., ब मुत़ाबिक़ 2 अक्तूबर सिने 1981 ई़. बरोज़ जुमुआ़ मस्जिदे नबवी शरीफ़ के मोअज़्ज़िन ने "अल्लाहु अक्बर, अल्लाहु अक्बर" कहा, सय्यिदी क़ुत़्बे मदीना رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ ने कलिमा शरीफ़ पढ़ा और आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ की रूह़ जिस्म से जुदा हो गई । ग़ुस्ल शरीफ़ के बा'द आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ के कफ़न को उस मुबारक पानी से धोया गया जिस पानी से सरकारे मदीना صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की क़ब्रे अन्वर को ग़ुस्ल दिया गया और मुख़्तलिफ़ तबरुकात रखे गए फिर कफ़न शरीफ़ बांधा गया । बा'द नमाज़े अ़स्र दुरूदो सलाम और क़सीदए बुरदा शरीफ़ की गूंज में जनाज़ए मुबारका उठाया गया और आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ को आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ की आरज़ू के मुत़ाबिक़ जन्नतुल बक़ीअ़ में अहले बैते अत़्हार عَلَیْہِمُ الرِّضْوَان के क़ुर्ब में दफ़्न किया गया । (सय्यिदी क़ुत़्बे मदीना, स. 17)
प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! आइये ! क़ुरबानी की चन्द सुन्नतें और आदाब के बारे में सुनती हैं । पहले दो फ़रामीने मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ मुलाह़ज़ा कीजिये : (1) फ़रमाया : क़ुरबानी करने वाले को क़ुरबानी के जानवर के हर बाल के बदले में एक नेकी मिलती है । (تِرمِذی، کتاب الاضاحی،باب ما جا ء فی فضل الضحیۃ ،۳/۱۶۲،حدیث: ۱۴۹۸) (2) फ़रमाया : जिस शख़्स में क़ुरबानी करने की गुन्जाइश हो फिर भी वोह क़ुरबानी न करे, तो वोह हमारी ई़दगाह के क़रीब न आए । (اِبن ماجہ،کتاب الاضاحی،باب الاضاحی واجبۃ ام لا،۳/ ۵۲۹،حدیث:۳۱۲۳) ٭ हर बालिग़, मुक़ीम, मुसलमान मर्द व औ़रत, मालिके निसाब पर क़ुरबानी वाजिब है । (फ़तावा हिन्दिया, 5 / 292) ٭ अगर किसी पर