Book Name:Janwaron Par Zulm Karna Haram He
तर्जमए कन्ज़ुल इ़रफ़ान : और बेशक तुम्हारे लिये मवेशियों में ग़ौरो फ़िक्र की बातें हैं (वोह येह कि) हम तुम्हें उन के पेटों से गोबर और ख़ून के दरमियान से ख़ालिस दूध (निकाल कर) पिलाते हैं जो पीने वाले के गले से आसानी से उतरने वाला है ।
बयान कर्दा आयते करीमा में फ़रमाया गया : अल्लाह करीम की अ़ज़मत व क़ुदरत की निशानियां हर चीज़ में मौजूद हैं, ह़त्ता कि अगर तुम अपने मवेशियों में भी ग़ौर करो, तो तुम्हें ग़ौरो फ़िक्र करने की बहुत सी बातें मिल जाएंगी और अल्लाह करीम की ह़िक्मत के अ़जाइब और उस की क़ुदरत के कमाल पर तुम्हें आगाही ह़ासिल हो जाएगी । तुम ग़ौर करो कि हम तुम्हें उन जानवरों के पेटों से गोबर और ख़ून के दरमियान से ख़ालिस दूध निकाल कर पिलाते हैं जो पीने वाले के गले से आसानी से उतरने वाला है जिस में किसी चीज़ की आमेज़िश (मिलावट) का कोई शाइबा नहीं, ह़ालांकि ह़ैवान के जिस्म में ग़िज़ा का एक ही मक़ाम है जहां चारा, घास, भूसा वग़ैरा पहुंचता है और दूध, ख़ून, गोबर सब उसी ग़िज़ा से पैदा होते हैं और उन में से एक दूसरे से मिलने नहीं पाता । दूध में न ख़ून की रंगत का शाइबा होता है, न गोबर की बू का, निहायत साफ़ और लत़ीफ़ बर आमद होता है, इस से अल्लाह करीम की ह़िक्मत की अ़जीब कारीगरी का इज़्हार है । (خازن، النحل، تحت الآیۃ: ۶۶،۳/۱۲۹-۱۳۰،مدارک،النحل،تحت الآیۃ:۶۶،ص۶۰۰،خزائن العرفان،النحل،تحت الآیۃ:۶۶، ص۵۱۰ ، ملتقطاً)
इस आयते करीमा में जो साफ़ दूध का बयान फ़रमाया, इस में ग़ौर करने से येह बात वाज़ेह़ हो जाती है कि क़ुदरते इलाही की येह शान है कि वोह ग़िज़ा के मख़्लूत़ (मिक्स) अज्ज़ा में से ख़ालिस दूध निकालता है और उस के क़ुर्बो जवार की चीज़ों की मिलावट का शको शुबा भी उस में नहीं आता । उस ह़कीमे बरह़क़ की क़ुदरत से येह मुश्किल नहीं कि इन्सानी जिस्म के अज्ज़ा को मुन्तशिर (बिखरे हुवे) होने के बा'द फिर जम्अ़ फ़रमा दे । (ख़ज़ाइनुल इ़रफ़ान, अन्नह़ल, तह़तुल आयत : 66, स. 510-511)
सूफ़ियाए किराम फ़रमाते हैं : ऐ इन्सान ! जैसे तेरे रब्बे करीम ने तुझे ख़ालिस दूध पिलाया जिस में गोबर, ख़ून की बाल भर आमेज़िश (मिलावट) नहीं है, तो तू भी अपने रब्बे करीम की बारगाह में ख़ालिस इ़बादत पेश कर जिस में रिया (दिखलावा) वग़ैरा की बिल्कुल भी मिलावट न हो । (नूरुल इ़रफ़ान, अन्नह़ल, तह़तुल आयत : 66, स. 437, मुलख़्ख़सन)
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد
प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! याद रखिये ! जानवरों पर ज़ुल्म करना ह़राम और दोज़ख़ में ले जाने वाला काम है, जानवरों पर ज़ुल्म करने की वज्ह से आख़िरत में इस का बदला भी देना पड़ेगा । चुनान्चे,
ह़ज़रते अबू सुलैमान दारानी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ फ़रमाते हैं : एक दफ़्आ़ मैं गधे पर सुवार था, मैं ने उसे दो, तीन मरतबा मारा, तो उस ने अपना सर उठा कर मेरी त़रफ़ देखा और कहने लगा : ऐ अबू सुलैमान ! क़ियामत के दिन इस मारने का बदला लिया जाएगा, अब