Janwaron Par Zulm Karna Haram He

Book Name:Janwaron Par Zulm Karna Haram He

। (8) जानवर को घुमाने के नाम पर बच्चे और बड़े बिला वज्ह उस का कान मरोड़ते, दुम घुमाते, शोर मचाते हैं जिस से जानवर बिदकते और डरते हैं ।

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!      صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

          प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! शरीअ़त ने फ़ाइदा ह़ासिल करने के लिये अगर्चे जानवरों को ज़ब्ह़ करने की इजाज़त दी है लेकिन इस में भी हर उस काम से मन्अ़ किया गया है जो बिला वज्ह जानवर के लिये तक्लीफ़ का बाइ़स बने या उस की तक्लीफ़ में इज़ाफ़ा करे । चुनान्चे,

क़ुरबानी के जानवरों पर रह़म करना

1.     नबिय्ये करीम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने इरशाद फ़रमाया : अल्लाह पाक ने हर चीज़ के साथ नेकी करने का ह़ुक्म दिया है, लिहाज़ा जब तुम (क़ुरबानी के जानवर) ज़ब्ह़ करो, तो ख़ूब उ़म्दा त़रीके़ से ज़ब्ह़ करो और तुम अपनी छुरी को अच्छी त़रह़ तेज़ कर लिया करो और ज़बीह़ा को आराम दिया करो । (مُسلِم،  کتاب الصید والذبائح ،باب الامر باحسان  الذبح والقتل۔۔الخ ،۸۲۳،حدیث:۵۰۵۵)

2.     एक मरतबा एक सह़ाबी رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ ने बारगाहे रिसालत में अ़र्ज़ की : या रसूलल्लाह صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ! मुझे बकरी ज़ब्ह़ करने में रह़म आता है । फ़रमाया : अगर उस पर रह़म करोगे, तो अल्लाह पाक भी तुम पर रह़म फ़रमाएगा । (مُسندِ احمد،مسند المکیین،حدیث  معاویۃ  بن فرۃ ، ۵/۳۰۴،حدیث:۱۵۵۹۲)

जानवरों पर रह़म की अपील

        प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! मा'लूम हुवा ! ज़ब्ह़ के वक़्त रिज़ाए इलाही की निय्यत से जानवर पर रह़म खाना सवाब का काम है मगर हमारे मुआ़शरे में ज़ब्ह़ के वक़्त भी बड़ा ज़ुल्म किया जाता है । हमें चाहिये कि हम अपने घर के मह़ारिम को इस ह़वाले से बताएं कि जानवर को ज़ब्ह़ करने में बिला वज्ह तक्लीफ़ न दें, जो ऐसा करते हैं उन को ज़ुल्म से रोकने और उन की इस्लाह़ करने के लिये अमीरे अहले सुन्नत, ह़ज़रते अ़ल्लामा मौलाना मुह़म्मद इल्यास क़ादिरी دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ ने अपने रिसाले "अब्लक़ घोड़े सुवार" के सफ़ह़ा 15 पर चन्द निकात बयान फ़रमाए हैं, अपने मह़ारिम को उन का मुत़ालआ़ करने की तरग़ीब दिलाइये ।

          याद रखिये ! जानवर पर ज़ुल्म करना मुसलमान पर ज़ुल्म करने से बदतर (बहुत बुरा) है क्यूंकि अल्लाह पाक के सिवा (इ़लावा) जानवर का कोई मददगार नहीं । (बहारे शरीअ़त, 3 / 660, मुलख़्ख़सन)

          प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! जिस त़रह़ क़ुरबानी के जानवरों को तक्लीफ़ देना मन्अ़ है । इसी त़रह़ दीगर जानवरों और ह़ैवानात को मारना, कै़द कर के भूका, प्यासा रखना, उन की ज़रूरिय्यात पूरी न करना, त़ाक़त से ज़ियादा काम लेना, उन्हें डंडों और पथ्थरों से मार कर ज़ख़्मी कर देना या उन्हें जला देना भी बहुत बड़ा ज़ुल्म और नाजाइज़ व