Janwaron Par Zulm Karna Haram He

Book Name:Janwaron Par Zulm Karna Haram He

होने के लिये राज़ी हो गए । जो लोग सुन्नते इब्राहीमी पर अ़मल करते हुवे अपनी त़ाक़त के मुत़ाबिक़ क़ुरबानी करते हैं, वोह बारगाहे इलाही से बहुत बड़े सवाब के ह़क़दार क़रार पाते हैं । आइये ! क़ुरबानी के फ़ज़ाइल पर मुश्तमिल 3 फ़रामीने मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ सुनती हैं । चुनान्चे,

क़ुरबानी के फ़ज़ाइल

1.      इरशाद फ़रमाया : क़ुरबानी करने वाले को क़ुरबानी के जानवर के हर बाल के बदले में एक नेकी मिलती है । (تِرمِذی،   کتاب الاضاحی ،باب  ماجاء  فی  فضل الاضحیۃ ، ۳/۱۶۲،حدیث: ۱۴۹۸)

2.      इरशाद फ़रमाया : जिस ने ख़ुश दिली से, सवाब की निय्यत से क़ुरबानी की, तो वोह क़ुरबानी दोज़ख़ की आग और उस के दरमियान रुकावट होगी । (مُعْجَم کبِیر، ۳/۸۴ ،حدیث: ۲۷۳۶ملخصاً)

3.      इरशाद फ़रमाया : इन्सान बक़रह ई़द के दिन कोई ऐसी नेकी नहीं करता जो अल्लाह पाक को (जानवर का) ख़ून बहाने से ज़ियादा प्यारी हो । येह क़ुरबानी क़ियामत में अपने सींगों, बालों और खुरों के साथ आएगी और क़ुरबानी का ख़ून ज़मीन पर गिरने से पहले अल्लाह पाक के हां क़बूल हो जाता है, लिहाज़ा ख़ुश दिली से क़ुरबानी करो । (تِرمِذی،۳/۱۶۲،حدیث: ۱۴۹۸)

          प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! जो इस्लामी बहनें क़ुरबानी की त़ाक़त रखने के बा वुजूद अपनी वाजिब क़ुरबानी अदा नहीं करतीं, उन के लिये लम्ह़ए फ़िक्रिय्या है, येही नुक़्सान क्या कम था कि क़ुरबानी न करने से इतने बड़े सवाब से मह़रूम हो गईं, मज़ीद येह कि गुनहगार भी हुईं । "फ़तावा अमजदिय्या" जिल्द 3, सफ़ह़ा नम्बर 315 पर लिखा है : अगर किसी पर क़ुरबानी वाजिब है और उस वक़्त उस के पास रुपये नहीं हैं, तो क़र्ज़ (Loan) ले कर या कोई चीज़ फ़रोख़्त कर के क़ुरबानी करे । (फ़तावा अमजदिय्या, 3 / 315)

          अल्लाह करीम हमें क़ुरबानी जैसे अ़ज़ीम फ़रीज़े की अदाएगी करने की तौफ़ीक़ नसीब फ़रमाए और सारी ज़िन्दगी रब्बे करीम की फ़रमां बरदारी में गुज़ारने की सआ़दत नसीब फ़रमाए । اٰمِیْن بِجَاہِ النَّبِیِ الْاَمِیْن صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!      صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

जानवरों की पैदाइश का मक़्सद

          प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! अल्लाह करीम ने अपनी तमाम मख़्लूक़ को किसी न किसी मक़्सद (Purpose) के लिये पैदा फ़रमाया है । इसी त़रह़ ह़ैवानात की पैदाइश का भी मक़्सद है । इन जानवरों से हमें गोश्त और दूध ह़ासिल होता है और दूध से दही, मक्खन, घी वग़ैरा मुफ़ीद चीज़ें ह़ासिल होती हैं, इन की खाल से गर्म लिबास बनाए जाते हैं, अल ग़रज़ ! जानवरों की पैदाइश में बहुत सी ह़िक्मतें हैं । चुनान्चे, पारह 14, सूरतुन्नह़ल की आयत नम्बर 66 में इरशादे बारी है :

وَ اِنَّ لَكُمْ فِی الْاَنْعَامِ لَعِبْرَةًؕ-نُسْقِیْكُمْ مِّمَّا فِیْ بُطُوْنِهٖ مِنْۢ بَیْنِ فَرْثٍ وَّ دَمٍ لَّبَنًا خَالِصًا سَآىٕغًا لِّلشّٰرِبِیْنَ(۶۶) )پ 14، الانحل، آیت : 66(