Baap Kay Huqooq

Book Name:Baap Kay Huqooq

          ऐ आ़शिक़ाने रसूल ! आइए ! अब अह़ादीसे मुबारका की रौशनी में बाप की शान और बाप से अच्छा सुलूक करने की अहमिय्यत पर मुश्तमिल 6 फ़रामीने मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم सुनिए । चुनान्चे,

1.   इरशाद फ़रमाया : बाप जन्नत के दरवाज़ों में से दरमियानी दरवाज़ा है, पस अगर तुम चाहो, तो इस दरवाज़े को ज़ाएअ़ कर दो या इस की ह़िफ़ाज़त करो । (ترمذی،کتاب البر والصلة، باب :ماجاء من الفضل فی رضا الوالدین ،۳/ ۳۵۹، حدیث:۱۹۰۶)

2.   इरशाद फ़रमाया : आदमी का अपने वालिदैन को गाली देना कबीरा गुनाहों में से है । सह़ाबए किराम رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہُم ने अ़र्ज़ की : या रसूलल्लाह صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم ! क्या कोई शख़्स अपने मां-बाप को गाली दे सकता है ? इरशाद फ़रमाया : हां ! (यूं कि) आदमी दूसरे आदमी के बाप को गाली देता है, तो दूसरा भी इस के बाप को गाली देता है, येह उस की मां को गाली देता है, वोह इस की मां को गाली देता है । (مسلم،کتاب الایمان،باب الکبائرواکبرہا،ص۶۰، حدیث:۲۶۳)

          ह़ज़रते अ़ल्लामा मौलाना मुफ़्ती मुह़म्मद अमजद अ़ली आज़मी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ फ़रमाते हैं : सह़ाबए किराम (رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہُم) जिन्हों ने अ़रब का ज़मानए जाहिलिय्यत देखा था, उन की समझ में येह नहीं आया कि अपने  मां-बाप को कोई क्यूंकर गाली देगा ! यानी येह बात उन की समझ से बाहर थी । ह़ुज़ूर   (صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم) ने बताया : मुराद दूसरे से गाली दिलवाना है । और अब वोह ज़माना आया कि बाज़ लोग ख़ुद अपने मां-बाप को गालियां देते हैं और कुछ लिह़ाज़ नहीं करते । (Ï¢ã¢Úï à¢Úè¥G¼, çãGSS¢¢ : 16, 3 / 552)

3.   इरशाद फ़रमाया : रब्बे करीम की रिज़ा, बाप की रिज़ामन्दी में है और रब्बे करीम की नाराज़ी, बाप की नाराज़ी में है । (ترمذی، کتاب البر والصلۃ، باب ما جاء من الفضل فی رضا الوالدین، ۳/۳۶۰، حدیث۱۹۰۷)

4.   इरशाद फ़रमाया : अल्लाह पाक की फ़रमां बरदारी, वालिद की फ़रमां बरदारी करने में है और अल्लाह पाक की ना फ़रमानी, वालिद की   ना फ़रमानी करने में है । (معجم اوسط،باب الالف،من اسمہ احمد،۱/۶۱۴،حدیث: ۲۲۵۵)

5.   इरशाद फ़रमाया : जिस ने अपने वालिदैन या उन में से किसी एक को पाया और उन के साथ अच्छा सुलूक न किया, वोह जहन्नम में दाख़िल हुवा, अल्लाह पाक की रह़मत से दूर और ख़ुदा पाक के ग़ज़ब का ह़क़दार हुवा । (معجم کبیر، ۱۲/۶۶، حدیث: ۱۲۵۵۱)

6.   इरशाद फ़रमाया : बेटा (अपने) बाप का ह़क़ अदा नहीं कर सकता, यहां तक कि बेटा अपने बाप को ग़ुलाम पाए और उसे ख़रीद कर आज़ाद कर दे । (مسلم،کتاب العتق،باب فضل عتق الوالد، حديث:۳۷۹۹،ص۶۲۴)

          प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! इस ह़दीसे पाक में बाप के अ़ज़ीम ह़क़ को बयान करना मक़्सूद है, येह मुराद नहीं कि अगर कोई अपने ग़ुलाम बाप को ख़रीद कर उसे आज़ाद कर दे, तो उस ने अपने बाप का ह़क़ अदा कर दिया । चुनान्चे, ह़कीमुल उम्मत, ह़ज़रते मुफ़्ती अह़मद यार