Baap Kay Huqooq

Book Name:Baap Kay Huqooq

फ़रमां बरदारी न की जाए कि ह़दीसे पाक में है : अल्लाह पाक की ना फ़रमानी में किसी की फ़रमां बरदारी (जाइज़) नहीं । (माहनामा फै़ज़ाने मदीना, फ़रवरी 2018, स. 1, मुलख़्ख़सन)

          आला ह़ज़रत رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ फ़रमाते हैं : मां-बाप अगर गुनाह करते हों, (तो) उन से नर्मी व अदब से गुज़ारिश करे, अगर मान लें (तो) बेहतर, वरना सख़्ती नहीं कर सकता बल्कि उन के लिए दुआ़ करे । (फ़तावा रज़विय्या, 25 / 205, बि तग़य्युर)

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!       صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

          प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! मश्हूर कहावत है : "जैसी करनी, वैसी भरनी ।" आज अगर हम अपने बाप के साथ ना पसन्दीदा सुलूक करेंगे, तो मुमकिन है कल को हमारे बच्चे भी हमारे साथ इसी त़रह़ का सुलूक करें । जैसा कि :

जैसा करोगे, वैसा भरोगे

          ह़दीसे पाक में है : کَمَا تَدِیْنُ تُدَانُ (यानी) जैसा करोगे, वैसा भरोगे । (مصنف عبدالرزاق،کتاب الجامع،باب الاغتیاب والشتم،۱۰ / ۱۸۹،حدیث: ۲۰۴۳۰) ह़ज़रते अ़ल्लामा अ़ब्दुर्रऊफ़ मुनावी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ इस ह़दीसे पाक की वज़ाह़त में लिखते हैं : यानी जैसा तुम करोगे, वैसा तुम्हें उस का बदला मिलेगा, जो तुम किसी के साथ करोगे, वोही तुम्हारे साथ होगा । (التیسیر بشرح الجامع الصغیر،حرف الکاف،۲/۲۲۲)

          आला ह़ज़रत, इमामे अहले सुन्नत, इमाम अह़मद रज़ा ख़ान رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ लिखते हैं : बे अ़क़्ल और शरीर और ना समझ जब त़ाक़त व तवानाई ह़ासिल कर लेते हैं, तो बूढ़े बाप पर ही ज़ोर आज़माई करते हैं और उस के ह़ुक्म की ख़िलाफ़ वर्ज़ी इख़्तियार करते हैं, जल्द नज़र आ जाएगा कि जब ख़ुद बूढ़े होंगे, तो अपने किए हुवे की जज़ा अपने हाथ से चखेंगे, जैसा करोगे, वैसा भरोगे और आख़िरत का अ़ज़ाब सख़्त और हमेशा रेहने वाला है । (फ़तावा रज़विय्या, 24 / 424)

          याह रहे ! इस पुर फ़ितन दौर में भी जहां वालिदैन के साथ अच्छा सुलूक करने वाले मौजूद हैं, वहां बद सुलूकी करने वालों की भी कमी नहीं । चुनान्चे,

जाएदाद न मिलने पर बेटे ने बाप के साथ बुरा सुलूक किया

          एक इस्लामी भाई के बयान का ख़ुलासा है : मैं जुम्आ़ की नमाज़ से फ़ारिग़ हो कर जब मस्जिद से बाहर निकला, तो देखा कि लोग जम्अ़ हैं और एक नौजवान बूढ़े शख़्स को मार रहा है और वोह बूढ़ा उस नौजवान का वालिद था । इन्किशाफ़ हुवा कि माल व जाएदाद वग़ैरा में ह़िस्सा न मिलने पर उस ना लाइक़ बेटे ने मार मार कर अपने बूढ़े बाप को लहू लुहान कर दिया ।

          अफ़्सोस ! अपनी उ़म्र भर की ख़ुशियों और ख़्वाहिशात को बच्चों की ख़ुशियों और ख़्वाहिशात की तक्मील के लिए क़ुरबान कर के जीने वाला बाप जब बुढ़ापे में अपने बच्चों की शफ़्क़त और ह़ुस्ने सुलूक का त़लबगार होता है, तो उसे जवाब में बे रुख़ी, त़ाने और फिर Old House का तोह़फ़ा मिलता है । जिन के वालिद ह़यात हैं, उन से फ़रयाद है कि वोह ख़ुश दिली के साथ