Baap Kay Huqooq

Book Name:Baap Kay Huqooq

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!        صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

          प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! बयान कर्दा ह़िकायत के अन्दर इ़ब्रत  व नसीह़त के कई निकात मौजूद हैं, मसलन ٭ क़नाअ़त बहुत बड़ी दौलत  है, जिस के पास येह दौलत होती है, वोह दिली त़ौर पर मुत़्मइन रेहता है । ٭ लालच में मुब्तला हो कर इन्सान अपना सब कुछ बरबाद कर बैठता है । ٭ जो सोचता है, कर गुज़रता है, चाहे उस की हलाकत हो जाए । ٭ बाप हमेशा औलाद की तरक़्क़ी चाहता और औलाद को नफ़्अ़ मिलने पर ख़ुश  होता है । ٭ उस के मुंह से निकली हुई बात पूरी हो कर रेहती है । ٭ अपनी औलाद को नेकी की दावत और फ़िक्रे आख़िरत देता है । ٭ मुआ़मलात को औलाद से बेहतर समझ सकता है । ٭ उसे हलाकत की जगहों पर जाने से बचाता है । ٭ औलाद की जुदाई में रोता है । ٭ हमेशा उन के लिए अच्छा सोचता और दुआ़एं करता है । ٭ बाप की ना फ़रमानी कर के औलाद को कभी सुख नसीब नहीं होता । ٭ तबाही व बरबादी ना फ़रमान औलाद का मुक़द्दर बन जाती है, ह़त्ता कि उसे मौत के मुंह में ले जाती है फिर पछताने के सिवा कुछ भी हाथ नहीं आता । लिहाज़ा औलाद को चाहिए कि ٭ वोह लालच के चक्कर में बाप की नसीह़तों को नज़र अन्दाज़ न करे । ٭ उन की हमदर्दी को फ़रामोश न करे । ٭ उन के एह़सानात को याद रखे । ٭ उन को तन्हा न होने दे । ٭ उन का दिल न दुखाए । ٭ उन से दुआ़एं ले । ٭ उन को नाराज़ न करे । ٭ वोह जिस काम से मन्अ़ करें, उस काम से रुक जाए, बशर्त़ येह कि कोई शरई़ ख़राबी न हो । ٭इस बारे में ढेरों ढेर मालूमात ह़ासिल करने के लिए अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ का रिसाला "समुन्दरी गुम्बद" का मुत़ालआ़ करे ।

          اَلْحَمْدُ لِلّٰہ "नेक आमाल" में बा क़ाइ़दा हफ़्तावार रिसाला पढ़ने पर मुश्तमिल एक सुवाल भी शामिल है । चुनान्चे, नेक अ़मल नम्बर 63 है : "क्या इस बार का हफ़्तावार रिसाला पढ़ या सुन लिया ?" दावते इस्लामी के दीनी माह़ोल से वाबस्ता रेहना भी औलाद को वालिदैन की अहमिय्यत से रूशनास करवाने का बेहतरीन ज़रीआ़ है ।

ट्रान्सलेशन डिपार्टमेन्ट

          اَلْحَمْدُ لِلّٰہ दावते इस्लामी कमो बेश 80 शोबों में नेकी की दावत की धूमें मचाने में मसरूफ़ है । दावते इस्लामी का एक शोबा "ट्रान्सलेशन डिपार्टमेन्ट" भी है । इस शोबे के तह़्त अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ और मक्तबतुल मदीना की कुतुबो रसाइल, माहनामा फै़ज़ाने मदीना, हफ़्तावार सुन्नतों भरे इजतिमाआ़त के बयानात और दीगर शोबाजात से मिलने वाले तन्ज़ीमी मवाद का तर्जमा किया जाता है । इस शोबे के तह़्त 1600 से ज़ाइद कुतुबो रसाइल का मुख़्तलिफ़ ज़बानों में तर्जमा किया जा चुका है और दुन्या की दीगर ज़बानें बोलने वाले करोड़ों लोग इन कुतुबो रसाइल से फै़ज़याब हो रहे हैं । आप भी मक्तबतुल मदीना की इन कुतुबो रसाइल को ख़ुद भी पढ़िए और दूसरों को भी पढ़ने की तरग़ीब दिलाइए, ह़स्बे तौफ़ीक़ तक़्सीमे रसाइल भी कीजिए, اِنْ شَآءَ اللّٰہ इस की ढेरों ढेर बरकतें नसीब होंगी । अल्लाह करीम "ट्रान्सलेशन डिपार्टमेन्ट" को मज़ीद लगन के