Book Name:Rizq Main Tangi Kay Asbab
सबब बन सकते हैं) । (12) खाए हुवे बरतन साफ़ न करना, जिस बरतन में खाना खाया उसी में हाथ धोना । (13) खाने, पीने के बरतन खुले छोड़ देना (खाने, पीने के बरतन बिस्मिल्लाह कह कर ढांक देने चाहियें कि बलाएं उतरती हैं और ख़राब कर देती हैं फिर वोह खाना और पानी बीमारियां लाता है) ।
(सुन्नी बिहिश्ती ज़ेवर, स. 595 ता 601, मुलख़्ख़सन)
ह़ज़रते सय्यिदुना इमाम बुरहानुद्दीन ज़रनूजी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ ने रिज़्क़ में तंगी के जो अस्बाब बयान फ़रमाए हैं, उन में येह भी हैं : (14) ज़ियादा सोने की आ़दत (इस से जहालत भी पैदा होती है) । (15) बे लिबास या'नी कपड़े उतार कर सोना । (16) बे ह़याई के साथ पेशाब करना । (17) दस्तरख़ान पर गिरे हुवे दाने और खाने के ज़र्रे वग़ैरा उठाने में सुस्ती करना । (18) प्याज़ और लह्सन के छिलके जलाना । (19) घर में कपड़े से झाड़ू निकालना । (20) रात को झाड़ू देना । (21) कूड़ा घर ही में छोड़ देना । (22) वालिदैन को उन के नाम से पुकारना । (23) दरवाज़े के एक ह़िस्से से टेक लगा कर खड़े होना । (24) बैतुल ख़ला (Washroom) में वुज़ू करना । (25) बदन ही पर कपड़ा वग़ैरा सी लेना । (26) चेहरा लिबास से ख़ुश्क कर लेना । (27) घर में मक्ड़ी के जाले लगे रहने देना । (28) नमाज़ में सुस्ती करना । (29) सुब्ह़ सवेरे बाज़ार जाना । (30) देर गए बाज़ार से आना । (31) अपनी औलाद को बद दुआ़एं देना (अक्सर औ़रतें बात बात पर अपने बच्चों को बद दुआ़एं देती हैं और फिर मोह़्ताजी का रोना भी रोती हैं) । (32) गुनाह करना, ख़ुसूसन झूट बोलना । (33) चराग़ को फूंक मार कर बुझा देना । (34) टूटी हुई कंघी इस्ति'माल करना । (35) मां-बाप के लिये भलाई की दुआ़ न करना । (36) पाजामा या शल्वार खड़े खड़े पहनना और (37) नेक आ'माल करने में बहाने बाज़ी करना । (تعلیم المتعلم طریق التعلم، ۷۳ تا ۷۶)
प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! आप ने सुना कि रिज़्क़ में तंगी के किस क़दर अस्बाब हैं, लिहाज़ा अ़क़्लमन्द को चाहिये कि वोह रिज़्क़ में तंगी के इन अस्बाब से बचने की भरपूर कोशिश करे और आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दा'वते इस्लामी के मदनी माह़ोल से वाबस्ता रहे ताकि इस माह़ोल की बरकत से रिज़्क़ में तंगी के अस्बाब को पहचानने और उन से बचने में मदद मिलती रहे । اَلْحَمْدُ لِلّٰہ ! आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दा'वते इस्लामी दुन्या भर में कमो बेश 105 शो'बाजात में दीन की ख़िदमत में मसरूफे़ अ़मल है, इन्ही शो'बों में से एक "शो'बए ता'लीम" भी है । اَلْحَمْدُ لِلّٰہ दा'वते इस्लामी जहां दुन्या भर में मुसलमानों को नेकी के कामों की त़रफ़ गामज़न कर रही है, वहीं तमाम गवर्नमेन्ट व प्राईवेट स्कूल्ज़ (Schools), कॉलेजिज़, यूनीवर्सिटीज़ और मुख़्तलिफ़ ता'लीमी इदारों से मुन्सलिक लोगों तक नेकी की दा'वत पहुंचाने के लिये "शो'बए ता'लीम" का क़ियाम भी अ़मल में लाया गया है । इस मजलिस की इस्लामी बहनें कॉलेजिज़ और यूनीवर्सिटीज़ (Universities) की मुदर्रिसात और त़ालिबात से अच्छी अच्छी निय्यतों के साथ मरासिम क़ाइम कर के इन्हें ताजदारे रिसालत, शहनशाहे नुबुव्वत صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की सुन्नतों से रूशनास करवाती है नीज़ ता'लीमी इदारों में मदनी इनआ़मात का सिलसिला जारी करती और मद्रसतुल मदीना (बालिग़ात) क़ाइम कर के इन की दीनी व अख़्लाक़ी तरबिय्यत की हर मुमकिन