Book Name:Rizq Main Tangi Kay Asbab
(مسلم،کتاب القدر،باب قذرعلی ابن ادم حظہ من الزنا۔۔الخ،ص۱۰۹۵،حدیث:۶۷۵۳)
लिहाज़ा हमें चाहिये कि आंख, कान, ज़बान, हाथ, पाउं और इन के इ़लावा दीगर आ'ज़ा जो यक़ीनन अल्लाह पाक की अ़ज़ीम ने'मतें हैं, उन्हें हमेशा अल्लाह पाक की फ़रमां बरदारी वाले कामों में इस्ति'माल करें, हरगिज़ हरगिज़ बदकारी वाले कामों में इस्ति'माल न करें क्यूंकि बदकारी जहां अल्लाह पाक और मदीने के सुल्त़ान, रह़मते आ़लमिय्यान, सरवरे ज़ीशान صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की नाराज़ी का ज़रीआ़ है, वहीं रिज़्क़ में तंगी का भी सबब है । आइये ! इस ज़िमन में 3 फ़रामीने मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ सुनती हैं । चुनान्चे,
1. इरशाद फ़रमाया : اَلزِّنَا يُوْرِثُ الْفَقْرَ बदकारी, मोह़्ताजी का सबब है ।
(شعب الایمان، الباب السابع و الثلاثون…الخ، بابفی تحریم الفروج، ۴/۳۶۳، حدیث:۵۴۱۷)
2. इरशाद फ़रमाया, अल्लाह पाक फ़रमाता है : मैं ने फै़सला किया है कि मैं बदकारी करने वाले को मोह़्ताज कर दूंगा, अगर्चे कुछ अ़र्से बा'द सही ।
(بحر الدموع لابن جوزی،الفصل السابع و العشرون،موبقات الزنی و عواقبہ،ص ۱۶۶)
इरशाद फ़रमाया : बदकारी से दूर रहो कि इस के छे नुक़्सानात हैं, तीन दुन्यवी और तीन उख़रवी । दुन्यवी नुक़्सानात येह हैं : (1) इस की वज्ह से चेहरे की ताज़गी ख़त्म हो जाती है । (2) मोह़्ताजी पैदा होती है और (3) उ़म्र कम हो जाती है । उख़रवी नुक़्सानात येह हैं : (1) इस की वज्ह से अल्लाह पाक का ग़ज़ब होगा । (2) ह़िसाब में सख़्ती होगी और (3) जहन्नम में दाख़िला होगा ।
(کنزالعمال ،کتاب الحدو د ،قسم الاقوال، الباب الثانی فی انواع الحدو د ، جز ۵، ۳/۱۲۶، حدیث: ۱۳۰۱۸)
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد
सूद भी तंगिये रिज़्क़ का सबब है
प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! तंगिये रिज़्क़ के अस्बाब में से एक सबब "सूद ख़ोरी" भी है । जैसा कि मरवी है : اِیَّاکُمْ وَالرِّبَا فَاِنَّہُ یُوْرِثُ الْفَقْرَ सूद से बचो कि येह तंगदस्ती लाता है । (ارشاد الساری،کتاب مناقب الانصار، باب حدیث زیدبن نفیل…الخ، ۸/۳۴۳، حدیث:۳۸۲۸)
याद रखिये ! क़ुरआनो ह़दीस में सूद की निहायत सख़्त अल्फ़ाज़ में बुराई बयान की गई है, ह़त्ता कि सूद से बाज़ न आने वालों को अल्लाह पाक और पैकरे अन्वार, तमाम नबियों के सरदार, मदीने के ताजदार صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की त़रफ़ से ए'लाने जंग किया गया है । चुनान्चे, पारह 3, सूरतुल बक़रह की आयत नम्बर 278 और 279 में इरशादे बारी है :
یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوا اتَّقُوا اللّٰهَ وَ ذَرُوْا مَا بَقِیَ مِنَ الرِّبٰۤوا اِنْ كُنْتُمْ مُّؤْمِنِیْنَ(۲۷۸) فَاِنْ لَّمْ تَفْعَلُوْا فَاْذَنُوْا بِحَرْبٍ مِّنَ اللّٰهِ وَ رَسُوْلِهٖۚ-وَ اِنْ تُبْتُمْ فَلَكُمْ رُءُوْسُ اَمْوَالِكُمْۚ-لَا تَظْلِمُوْنَ وَ لَا تُظْلَمُوْنَ(۲۷۹)
(پ۳، البقرۃ:۲۷۸،۲۷۹)
तर्जमए कन्ज़ुल इ़रफ़ान : ऐ ईमान वालो ! अगर तुम ईमान वाले हो, तो अल्लाह से डरो और जो सूद बाक़ी रह गया है, उसे छोड़ दो ! फिर अगर तुम ऐसा नहीं करोगे, तो अल्लाह और अल्लाह के रसूल की त़रफ़ से लड़ाई का यक़ीन कर