Rizq Main Tangi Kay Asbab

Book Name:Rizq Main Tangi Kay Asbab

मस्अला हो भी रिज़्क़ में ख़ैरो बरकत और कुशादगी का ज़रीआ़ है । आइये ! अह़ादीसे मुबारका की रौशनी में मई़शत की तरक़्क़ी और रिज़्क़ में बरकत से मुतअ़ल्लिक़ तीन मज़ीद मदनी फूल मुलाह़ज़ा कीजिये ।

रिज़्क़ में बरकत के रूह़ानी इ़लाज

1.     नबियों के ताजवर, मह़बूबे रब्बे अक्बर صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने फ़रमाया : जिस ने इस्तिग़फ़ार को अपने ऊपर लाज़िम कर लिया अल्लाह पाक उस की हर परेशानी दूर फ़रमाएगा और हर तंगी से अमनो सुकून अ़त़ा फ़रमाएगा और उसे ऐसी जगह से रिज़्क़ अ़त़ा फ़रमाएगा जहां से उसे गुमान भी न होगा । (ابن ماجه ،کتا ب الادب ،باب الاستغفار ،۴/۲۵۷، حدیث: ۳۸۱۹)

2.     "मल्फ़ूज़ाते आ'ला ह़ज़रत" में है : एक सह़ाबी (رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ) ख़िदमते अक़्दस (صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ) में ह़ाज़िर हुवे और अ़र्ज़ की : दुन्या ने मुझ से पीठ फेर ली । फ़रमाया : क्या वोह तस्बीह़ तुम्हें याद नहीं जो तस्बीह़ है मलाइका (या'नी फ़िरिश्तों) की और जिस की बरकत से रोज़ी दी जाती है । ख़ल्के़ दुन्या (या'नी मख़्लूक़) आएगी तेरे पास ज़लीलो ख़्वार हो कर, त़ुलूए़ फ़ज्र के साथ सौ बार कहा कर : (لسان المیزان،حرف العین،۴/۳۰۴ ،حدیث:۵۱۰۰)   سُبْحٰنَ اللہِ وَبِحَمْدِہٖ سَبْحٰنَ اللہِ الْعَظِیْم وَبِحَمْدِہٖ اَسْتَغْفِرُ اللہ उन सह़ाबी رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ को सात दिन गुज़रे थे कि ख़िदमते अक़्दस में ह़ाज़िर हो कर अ़र्ज़ की : ह़ुज़ूर ! दुन्या मेरे पार इस कसरत से आई, मैं ह़ैरान हूं, कहां उठाऊं, कहां रखूं ।

(मल्फ़ूज़ाते आ'ला ह़ज़रत, स. 128)

3.     ह़ज़रते सय्यिदुना सहल बिन सा'رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ बयान करते हैं : एक शख़्स ने ह़ुज़ूरे अक़्दस, शफ़ीए़ रोज़े मह़्शर صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की ख़िदमते बा बरकत में ह़ाज़िर हो कर अपनी मोह़्ताजी की शिकायत की । आप صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने फ़रमाया : जब तुम घर में दाख़िल हो, तो घर वालों को सलाम करो और अगर कोई न हो, तो मुझ पर सलाम अ़र्ज़ करो और एक बार قُلْ ھُوَاﷲ शरीफ़ पढ़ो । उस शख़्स ने ऐसा ही किया फिर अल्लाह पाक ने उस को इतना माला माल कर दिया कि उस ने अपने पड़ोसियों और रिश्तेदारों की भी ख़िदमत की । (الجامع لاحکام القر آن،للقرطبی،۲۰/۲۳۱)

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!      صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد

बात चीत करने की सुन्नतें और आदाब

          प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! बयान को इख़्तिताम की त़रफ़ लाते हुवे शैख़े त़रीक़त, अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ के रिसाले "101 मदनी फूल" से बात चीत के ह़वाले से चन्द सुन्नतें और आदाब सुनती हैं : ٭ मुस्कुरा कर बात चीत कीजिये । ٭ इस्लामी बहनों की दिलजूई की निय्यत से छोटों के साथ हमदर्दाना और बड़ों के साथ अदब वाला लह्जा रखिये । ٭ चिल्ला चिल्ला कर बात करने से ह़द दरजा एह़तियात़ कीजिये । ٭ चाहे एक दिन का बच्चा हो, अच्छी अच्छी निय्यतों के साथ उस से भी आप, जनाब से गुफ़्तगू की आ़दत बनाइये, आप के अख़्लाक़ भी اِنْ شَآءَ اللّٰہ उ़म्दा होंगे और बच्चा भी आदाब सीखेगा । ٭ बात चीत करते वक़्त पर्दे की जगह हाथ लगाना, उंगलियों के