Ghous-e-Azam Ka Khandaan

Book Name:Ghous-e-Azam Ka Khandaan

अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ से मुरीद होने की बरकात

          अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ से बैअ़त हो कर लोगों को क्या क्या फ़वाइद ह़ासिल हुवे ? क्या क्या बरकतें नसीब हुईं ? सुनिए : ٭ अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ से मुरीद हो कर कई इस्लामी बहनें आ़लिमा बन गईं ٭ क़ुरआन की ह़ाफ़िज़ा बन गईं ٭ घर में मदनी माह़ोल गया ٭ मदीने की मह़ब्बत नसीब हो गई ٭ ह़ज की रग़बत हुई ٭ कई इस्लामी बहनें ह़ज्जन बन गईं ٭ नातें पढ़ने और सुनने का ज़ौक़ो शौक़ नसीब हो गया ٭ इ़श्के़ रसूल नसीब हुवा ٭ आला ह़ज़रत رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ का तआ़रुफ़ हुवा ٭ ग़ौसे पाक رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ का तआ़रुफ़ हुवा इसी त़रह़ अगर हम ग़ौर करती जाएं, तो ऐसी सैंक्ड़ों फ़ज़ीलतें मिलेंगी जो अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ की मुरीद होने की बरकत से नसीब हुईं, अल ग़रज़ ! मुरीद होने की बरकत से इन्सान दुन्या आख़िरत में सआ़दत मन्द हो जाता है

          आइए ! फै़ज़ाने ग़ौसो रज़ा से मालामाल आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दावते इस्लामी के मदनी माह़ोल से हर दम वाबस्ता रहिए और हर त़रफ़ नेकी की दावत की धूमें मचा दीजिए

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!       صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

घर में आने जाने की सुन्नतें और आदाब

          प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ के रिसाले "101 मदनी फूल" से घर में आने जाने की सुन्नतें व आदाब मुलाह़ज़ा फ़रमाइए । ٭ जब घर से बाहर निकलें, तो येह दुआ़ पढ़िए : بِسْمِ اللہِ تَوَکَّلْتُ عَلَی اللہِ لَاحَوْلَ وَلَا قُوَّۃَ اِلَّا بِاللہِ तर्जमा : अल्लाह पाक के नाम से, मैं ने अल्लाह पाक पर भरोसा किया, अल्लाह पाक के बिग़ैर न त़ाक़त है, न क़ुव्वत । (ابوداو ، ۴ / ۴۲۰ حدیث : ۵۰۹۵) اِنْ شَآءَ اللّٰہ ! इस दुआ़ को पढ़ने की बरकत से सीधी राह पर रहेंगी, आफ़तों से ह़िफ़ाज़त होगी और अल्लाह करीम की मदद शामिले ह़ाल रहेगी । ٭ घर में दाख़िल होने की दुआ़ : اَللّٰھُمَّ اِنِّیۤ اَسْأَ لُکَ خَیْرَ الْمَوْلَجِ وَ خَیْرَ الْمَخْرَجِ بِسْمِ اللہ وَلَجْنَا وَ بِسْمِ اللہِ خَرَجْنَا وَ عَلَی اللہِ رَبِّنَاتَوَ کَّلْنَا तर्जमा : ऐ अल्लाह पाक ! मैं तुझ से दाख़िल होने की और निकलने की भलाई मांगती हूं, अल्लाह पाक के नाम से हम (घर में) दाख़िल हुवे और उसी के नाम से बाहर आए और अपने रब्बे करीम पर हम ने भरोसा किया । (ابوداود ، ۴ / ۴۲۰ ، حدیث  : ۵۰۹۶) ٭ दुआ़ पढ़ने के बाद घरवालों को सलाम करे फिर बारगाहे रिसालत में सलाम अ़र्ज़ करे, इस के बाद सूरतुल इख़्लास शरीफ़ पढ़े, اِنْ شَآءَ اللّٰہ ! रोज़ी में बरकत और घरेलू झगड़ों से बचत होगी । ٭ अगर ऐसे मकान (ख़्वाह अपने ख़ाली घर) में जाना हो कि उस में कोई न हो, तो येह कहिए : اَلسَّلَامُ عَلَیْنَا وَعَلٰی عِبَادِ اللہِ الصّٰلِحِیْن (तर्जमा : हम पर और अल्लाह करीम के नेक बन्दों पर सलाम), तो फ़िरिश्ते इस सलाम का जवाब देंगे । (رَدُّالْمُحتار ، ۹  / ۶۸۲) या इस त़रह़ कहे : اَلسَّلَامُ عَلَیْکَ اَیُّھَا النَّبِیُّ (यानी या नबी ! आप पर सलाम) क्यूंकि ह़ुज़ूरे अकरम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم की रूह़े मुबारक मुसलमानों के घरों में तशरीफ़ फ़रमा होती है । (बहारे शरीअ़त, ह़िस्सा 16, 3 / 435, شرح الشّفاء للقاری ، ۲ / ۱۱۸) ٭ जब किसी के घर में दाख़िल होना चाहें, तो इस त़रह़ कहिए : اَلسَّلَامُ