Book Name:Ghous-e-Azam Ka Khandaan
रोकने के मुक़द्दस जज़्बे से सरशार हो कर आगे बढ़े और उन के मटकों को तोड़ दिया । ह़ज़रते अबू सालेह़ رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ के रोबो दबदबे, जलाल और बुज़ुर्गी को देख कर किसी भी मुलाज़िम को कुछ केहने की हिम्मत न हुई लेकिन उन्हों ने जाते ही बादशाह के सामने सारा वाक़िआ़ बयान कर दिया । बादशाह ने कहा : सय्यिद मूसा (رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ) को फ़ौरन मेरे दरबार (Court) में पेश करो । चुनान्चे, ह़ज़रते सय्यिद मूसा رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ दरबार में तशरीफ़ ले आए, तो बादशाह ने ग़ुस्से में जल भुन कर पूछा : आप कौन होते हैं मेरे मुलाज़िमीन की मेह़नत को ज़ाएअ़ करने वाले ? ह़ज़रते सय्यिद मूसा رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ ने फ़रमाया : मैं मुह़तसिब (यानी ख़िलाफे़ शरीअ़त बातों को मन्अ़ करने वाला ह़ाकिम) हूं और मैं ने अपना फ़र्ज़ अदा किया है । बादशाह ने कहा : आप किस के ह़ुक्म से मुह़तसिब (यानी ख़िलाफे़ शरीअ़त बातों को मन्अ़ करने वाले ह़ाकिम) मुक़र्रर किए गए हैं ? ह़ज़रते सय्यिद मूसा رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ ने रोब वाले लह्जे में जवाब दिया : जिस के ह़ुक्म से तुम ह़ुकूमत कर रहे हो । आप رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ के इस इरशाद से ख़लीफ़ा पर ऐसी रिक़्क़त त़ारी हुई कि वोह घुटनों पर सर रख कर बैठ गया और थोड़ी देर बाद सर उठा कर अ़र्ज़ की : ह़ुज़ूर ! मटकों को तोड़ने में क्या ह़िक्मत थी ? ह़ज़रते सय्यिद अबू सालेह़ मूसा رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ ने इरशाद फ़रमाया : तुम्हारे ह़ाल पर शफ़्क़त करते हुवे तुम्हें दुन्या व आख़िरत की रुस्वाई और ज़िल्लत से बचाने की ख़ात़िर ऐसा किया । ख़लीफ़ा पर आप رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ की इस ह़िक्मत से भरपूर गुफ़्तगू का बहुत असर हुवा और मुतास्सिर हो कर आप की ख़िदमते अक़्दस में अ़र्ज़ की : आ़लीजाह ! आप मेरी त़रफ़ से भी मुह़तसिब (यानी ख़िलाफे़ शरीअ़त बातों को मन्अ़ करने वाले ह़ाकिम) के मन्सब पर मुक़र्रर हैं । ह़ज़रते अबू सालेह़ رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ ने बड़ी बे नियाज़ी से फ़रमाया : जब मैं अल्लाह पाक की त़रफ़ से मुक़र्रर हूं, तो फिर मुझे मख़्लूक़ की त़रफ़ से मुक़र्रर होने की क्या ज़रूरत है ? उसी दिन से आप رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ "जंगी दोस्त" के लक़ब से मश्हूर हो गए । (ग़ौसे पाक के ह़ालात, स. 16, मुलख़्ख़सन)
शख़्सिय्यात को भी नेकी की दावत दीजिए !
प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! बयान कर्दा वाक़िए़ से मालूम हुवा ! अल्लाह वाले शोहरत व मन्सब रखने वालों के रोबो दबदबे से मुतास्सिर नहीं होते, अल्लाह वाले ऊंचे मन्सब वालों की ख़ुशामद व चापलूसी नहीं करते, अल्लाह वाले दुन्यवी ओ़ह्दों पर फ़ाइज़ लोगों को बुराई में मुब्तला देख कर ख़ामोश नहीं रेह पाते, अल्लाह वाले उन्हें भी नसीह़त (Advice) फ़रमाते हैं क्यूंकि दौलतमन्दों की ख़ुशामद तो वोह करे जिसे दुन्या की ज़लील दौलत पाने का लालच हो जब कि अल्लाह वाले तो क़नाअ़त की क़ीमती दौलत से मालामाल होते हैं, अल्लाह वालों की नज़र दौलतमन्दों के माल पर नहीं बल्कि अल्लाह वालों को तो रह़मते इलाही पर भरोसा होता है ।
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد