Book Name:Ghous-e-Azam Ka Khandaan
ह़ज़रते अ़ब्दुल्लाह बिन अ़ब्बास رَضِیَ اللّٰہُ عَنْھُمَا फ़रमाते हैं : बेशक अल्लाह पाक इन्सान के अच्छे आमाल के सबब उस की औलाद और औलाद दर औलाद की इस्लाह़ फ़रमा देता है, उस की नस्ल और उस के पड़ोसियों में उस की ह़िफ़ाज़त फ़रमाता है और वोह सब अल्लाह पाक की त़रफ़ से अमान में रेहते हैं । (تفسیردُرِّمَنثور ، ۵ / ۴۲۲)
फ़िक्र की बात येह है कि मां-बाप ही अगर फै़शन के मतवाले होंगे, मां-बाप ही फ़िल्में ड्रामे देखने और गाने बाजे सुनने के शैदाई होंगे, मां-बाप ही बे अ़मली का शिकार होंगे, मां-बाप ही ज़रूरी दीनी मसाइल न जानते होंगे, मां-बाप ही सुन्नतों से मुंह मोड़े हुवे होंगे, मां-बाप ही बे पर्दगी व बे ह़याई और त़रह़ त़रह़ के बात़िनी अमराज़ का शिकार होंगे, तो ऐसों की औलाद कम ही बा अ़मल व बा किरदार और आ़शिके़ रसूल बन पाती होगी । लिहाज़ा मां-बाप को चाहिए कि सब से पेहले वोह ख़ुद इ़ल्मो अ़मल के ज़ेवर से आरास्ता हों, ख़ुसूसन फ़र्ज़ उ़लूम सीखें, नमाज़े पंजगाना का एहतिमाम करें, तिलावते क़ुरआन को अपना मामूल बनाएं, सुन्नतें अपनाएं, शर्मो ह़या के पैकर बनें और अपने ज़ाहिरो बात़िन को इस्लामी तालीमात के मुत़ाबिक़ संवारने की कोशिश करें ताकि वोह अपनी औलाद की सह़ीह़ त़रीके़ से मदनी तरबियत करने में कामयाब हो सकें । याद रखिए ! औलाद की दुरुस्त इस्लामी त़रीके़ से मदनी तरबियत करना वालिदैन की अहम तरीन ज़िम्मेदारियों में शामिल है । अल्लाह करीम तमाम वालिदैन को अपनी और अपनी औलाद की दुरुस्त इस्लामी त़रीके़ के मुत़ाबिक़ तरबियत कर के अपने आप को और अपनी औलाद को दोज़ख़ की आग से बचाने की तौफ़ीक़ अ़त़ा फ़रमाए । اٰمِیْن بِجَاہِ النَّبِیِ الْاَمِیْن صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد
प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! नेकी की दावत देना और बुराई से मन्अ़ करना इस्लाह़े उम्मत और उम्मते मुस्त़फ़ा की ख़ैर ख़्वाही का बेहतरीन ज़रीआ़ है, येह वोह अ़ज़ीमुश्शान काम है जिस को तमाम ही अम्बियाए किराम عَلَیْہِمُ السَّلَام और औलियाए किराम رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہِمْ اَجْمَعِیْن ने बेहतरीन अन्दाज़ में सर अन्जाम दिया है । اَلْحَمْدُ لِلّٰہ ! सरकारे बग़दाद, ह़ुज़ूरे ग़ौसे पाक رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ के वालिदे गिरामी, ह़ज़रते मूसा जंगी दोस्त رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ भी अल्लाह पाक के मक़्बूल वली थे, आप का सीना भी इस्लाह़े उम्मत और उम्मत की ख़ैर ख़्वाही के मुक़द्दस जज़्बे से सरशार था, लिहाज़ा आप ने नबियों और वलियों के नक़्शे क़दम पर चलते हुवे नेकी की दावत के इस अ़ज़ीम फ़रीज़े को अच्छी त़रह़ अन्जाम दिया । आइए ! ह़ज़रते अबू सालेह़ के नेकी की दावत देने के अन्दाज़ पर मुश्तमिल एक दिल नशीन वाक़िआ़ सुनती हैं । चुनान्चे,
शराब के मटके तोड़ दिए
ह़ज़रते अबू सालेह़ मूसा जंगी दोस्त رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ एक दिन जामेअ़ मस्जिद की त़रफ़ जा रहे थे, देखा कि बादशाहे वक़्त के चन्द मुलाज़िम शराब के मटके अपने सरों पर उठाए बादशाह के मह़ल की त़रफ़ बढ़े चले जा रहे थे । जब आप ने येह मन्ज़र देखा, तो बुराई से