Ghous-e-Azam Ka Khandaan

Book Name:Ghous-e-Azam Ka Khandaan

اَلْحَمْدُ لِلّٰہِ رَبِّ الْعٰلَمِیْنَ وَ الصَّلٰوۃُ وَالسَّلَامُ عَلٰی سَیِّدِ الْمُرْسَلِیْنَ ط

اَمَّا بَعْدُ فَاَعُوْذُ بِاللّٰہِ مِنَ الشَّیْطٰنِ الرَّجِیْمِ ط  بِسْمِ اللہِ الرَّحْمٰنِ الرَّ حِیْم ط

اَلصَّلٰوۃُ وَ السَّلَامُ عَلَیْكَ یَا رَسُولَ اللہ                                                         وَعَلٰی اٰلِكَ وَ اَصْحٰبِكَ یَا حَبِیْبَ اللہ

اَلصَّلٰوۃُ وَ السَّلَامُ عَلَیْكَ یَا نَبِیَّ اللہ                                                                       وَعَلٰی اٰلِكَ وَ اَصْحٰبِكَ یَا نُوْرَ اللہ

दुरूदे पाक की फ़ज़ीलत

          रसूले अकरम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ का फ़रमाने आ़लीशान है : زَیِّنُوْامَجَالِسَکُمْ بِالصَّلَاۃِ عَلَیَّ فَاِنَّ صَلَاتَکُمْ عَلَیَّ نُوْرٌلَّکُمْ یَوْمَ الْقِیَامَۃِ तुम अपनी मजलिसों को मुझ पर दुरूदे पाक पढ़ कर आरास्ता करो क्यूंकि तुम्हारा मुझ पर दुरूदे पाक पढ़ना क़ियामत के दिन तुम्हारे लिए नूर होगा (جامع صغیر ، حرف الزاء ،  ص۲۸۰ ،  حدیث  :  ۴۵۸۰)

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!       صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! आइये ! अल्लाह पाक की रिज़ा पाने और सवाब कमाने के लिये पहले अच्छी अच्छी निय्यतें कर लेती हैं :

          फ़रमाने मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ : "نِیَّۃُ الْمُؤمِنِ خَیْرٌ مِّنْ عَمَلِہٖ" मुसलमान की निय्यत उस के अ़मल से बेहतर है (معجم کبیر ، ۶ / ۱۸۵ ، حدیث : ۵۹۴۲)

अहम नुक्ता : नेक और जाइज़ काम में जितनी अच्छी निय्यतें ज़ियादा, उतना सवाब भी ज़ियादा

बयान सुनने की निय्यतें

          मौक़अ़ की मुनासबत और नौइ़य्यत के एतिबार से निय्यतों में कमी बेशी तब्दीली की जा सकती है ٭ निगाहें नीची किये ख़ूब कान लगा कर बयान सुनूंगी ٭ टेक लगा कर बैठने के बजाए इ़ल्मे दीन की ताज़ीम की ख़ात़िर जहां तक हो सका दो ज़ानू बैठूंगी ٭ ज़रूरतन सिमट सरक कर दूसरी इस्लामी बहनों के लिये जगह कुशादा करूंगी ٭ धक्का वग़ैरा लगा, तो सब्र करूंगी, घूरने, झिड़कने और उलझने से बचूंगी ٭ اُذْکُرُوااللّٰـہَ ،  تُوبُوْا اِلَی اللّٰـہِ  صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْبِ ،   वग़ैरा सुन कर सवाब कमाने और सदा लगाने वाली की दिलजूई के लिये पस्त आवाज़ से जवाब दूंगी ٭ इजतिमाअ़ के बाद ख़ुद आगे बढ़ कर सलाम मुसाफ़ह़ा और इनफ़िरादी कोशिश करूंगी ٭ दौराने बयान मोबाइल के ग़ैर ज़रूरी इस्तिमाल से बचूंगी, बयान रीकॉर्ड करूंगी, ही और किसी क़िस्म की आवाज़ (कि इस की इजाज़त नहीं) जो कुछ सुनूंगी, उसे सुन और समझ कर, उस पे अ़मल करने और उसे बा' में दूसरों तक पहुंचा कर नेकी की दावत आम करने की सआदत ह़ासिल करूंगी

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!       صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

       प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! اِنْ شَآءَ اللّٰہ ! आज के हफ़्तावार सुन्नतों भरे इजतिमाअ़ में हम सरकारे बग़दाद, ह़ुज़ूरे ग़ौसे पाक رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ के ख़ानदान की शानो अ़ज़मत, ग़ौसे पाक के