Jannat Ki Baharain

Book Name:Jannat Ki Baharain

यक्दम मेह़राब शक़ हुई और उस में से एक ह़सीना व जमीला ह़ूर बर आमद हुई । उस ने कहा कि तुझे जन्नत में मुझ जैसी 100 ह़ूरें इ़नायत की जाएंगी जिन में हर एक की 100, 100 ख़ादिमाएं और हर ख़ादिमा की 100, 100 कनीज़ें होंगी और हर कनीज़ पर 100, 100 नाज़िमाएं (या'नी इन्तिज़ाम करने वालियां) होंगी । येह सुन कर वोह बुज़ुर्ग ख़ुशी के मारे झूम उठे और सुवाल किया : क्या किसी को जन्नत में मुझ से ज़ियादा भी मिलेगा ? जवाब मिला : इतना तो हर उस आम जन्नती को मिलेगा जो सुब्ह़ो शाम "اَسْتَغْفِرُ اللہَ الْعَظِیْم" पढ़ लिया करता है ।

(رَوْضُ الرَّیاحِین ص۵۵, अज़ ग़ीबत की तबाहकारियां, स. 98)

येह मर्ह़मतें कि कच्ची मतें, न छोड़ें लतें, न अपनी गतें

क़ुसूर करें और इन से भरें, क़ुसूरे जिनां तुम्हारे लिये

(ह़दाइक़े बख़्शिश, स. 351)

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!        صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد

        मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! देखा आप ने कि हर वोह शख़्स जो सुब्ह़ो शाम इस्तिग़फ़ार पढ़ेगा, तो उसे जन्नती ह़ूरें मिलेंगी । इसी त़रह़ जन्नत में दाख़िले और वहां आ'ला मरातिब पाने का ज़रीआ बनने वाले आ'माल में से एक अ़मल सलाम को आम करना और खाना खिलाना है, सलाम को आम करने और दूसरों को अपने ख़्वाने जूद (या'नी अपने पास) से कुछ न कुछ अ़त़ा करते रहने की आदत बनाने से जहां इन्सान के वक़ार को चार चांद लगते हैं, वहीं ऐसा शख़्स उन ख़ुश नसीबों में भी शामिल हो जाता है जिन के लिये जन्नत की नवीद (या'नी ख़ुश ख़बरी) है । चुनान्चे,

फ़रमाने मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ है : सलाम को आम करो और खाना खिलाओ, जन्नत में दाख़िल हो जाओगे ।

     (الاحسان بترتیب ابن حبان ،کتاب البر والاحسان ،باب افشاء السلام ،حدیث ۴۸۹ ،ج۱، ص ۳۵۶)

सुन्नतें अपना के ह़ासिल भाइयो !

रह़मते  मौला  से  जन्नत  कीजिये

(वसाइले बख़्शिश मुरम्मम, स. 509)