Jannat Ki Baharain

Book Name:Jannat Ki Baharain

मुफ़्लिसो ! उन की गली में जा पड़ो

बागे़ ख़ुल्द इकराम हो ही जाएगा

 (ह़दाइके़ बख़्शिश, स. 41)

        आइये ! ह़ुसूले तरग़ीब के लिये "जन्नत की चन्द बहारें" सुनते हैं । चुनान्चे,

जन्नत की बहारें

अगर जन्नत की कोई नाख़ुन भर चीज़ दुन्या में ज़ाहिर हो, तो तमाम आसमान व ज़मीन उस से आरास्ता हो जाएं और अगर जन्नती का कंगन ज़ाहिर हो, तो सूरज की रौशनी मिटा दे, जैसे आफ़्ताब सितारों की रौशनी मिटा देता है । (बहारे शरीअ़त, 1 / 153 (سنن الترمذي، کتاب صفۃ الجنۃ، باب ما جاء في صفۃ أھل الجنۃ، الحدیث: ۲۵۴۷، ج۴، ص۲۴۱،  उस (या'नी जन्नत) में क़िस्म क़िस्म के जवाहिर के मह़ल हैं, ऐसे साफ़ व शफ़्फ़ाफ़ कि अन्दर का ह़िस्सा बाहर से और बाहर का अन्दर से दिखाई दे । (बहारे शरीअ़त, 1/154 (الترغیب والترھیب، کتاب صفۃ الجنۃ والنار، فصل في درجات الجنۃ وغرفھا، الحدیث: ۲۷، ج۴، ص۲۸۱، जन्नत की दीवारें सोने और चांदी की ईंटों और मुश्क के गारे से बनी हैं । (बहारे शरीअ़त, 1/154  (مجمع الزوائد، کتاب أھل الجنۃ، باب في بناء الجنۃ وصفتہا، الحدیث: ۱۸۶۴۲،ج۱۰، ص۷۳۲، एक ईंट सोने की, एक चांदी की, ज़मीन ज़ा'फ़रान की, कंकरियों की जगह मोती और याक़ूत । (سنن الدارمي، کتاب الرقائق، باب في بناء الجنۃ، الحدیث:۲۸۲۱، ج۲،  ص۴۲۹) एक और रिवायत में है कि "जन्नते अ़दन" की एक ईंट सफे़द मोती की है, एक याक़ूते सुर्ख़ की, एक ज़बरजदे सब्ज़ की, मुश्क का गारा है और घास की जगह ज़ा'फ़रान है, मोती की कंकरियां, अ़म्बर की मिट्टी है ।

(बहारे शरीअ़त, 1 / 154 (الترغیب والترھیب، کتاب صفۃ الجنۃ والنار، الترغیب في الجنۃ ونعیمھا ، الحدیث: ۳۳، ج۴، ص۲۸۳،

जन्नत के दरया

जन्नत में चार दरया हैं : एक पानी का, दूसरा दूध का, तीसरा शहद का, चौथा शराब का फिर उन से नहरें निकल कर हर एक के मकान में जा रही हैं, वहां की नहरें ज़मीन खोद कर नहीं बल्कि ज़मीन के ऊपर रवां हैं । नहरों का