Jannat Ki Baharain

Book Name:Jannat Ki Baharain

الْعَالِیَہ की इ़ल्म दोस्ती और इशाअ़ते इ़ल्मे दीन की तड़प के नतीजे में मजलिसे जामिअ़तुल मदीना के तह़त मुल्क व बैरूने मुल्क में सेंक्ड़ों जामिआत का क़ियाम अ़मल में लाया गया । जामिअ़तुल मदीना की सब से पहली शाख़ 1995 ई़. में बाबुल मदीना के एक अ़लाक़े के मद्रसतुल मदीना की दूसरी मन्जि़ल में खोली गई । जामिआतुल मदीना का येह सिलसिला दिन ब दिन बढ़ते बढ़ते दुन्या भर में फैल गया और اَلْحَمْدُلِلّٰہ عَزَّوَجَلَّ ता ह़ाल मुल्क व बैरूने मुल्क में जामिआतुल मदीना की ता'दाद 546 है, इन में पढ़ने वाले त़लबए किराम व त़ालिबात की ता'दाद तक़रीबन 40109 है । आप भी अपने बच्चों को जामिअ़तुल मदीना में दाख़िल करवाइये, अपने भाइयों, दोस्तों, अ़ज़ीज़ों और दीगर रिश्तेदारों पर इनफ़िरादी कोशिश कीजिये और उन्हें अपने बच्चों को जामिअ़तुल मदीना में दाख़िल करवाने का ज़ेहन दीजिये । इस से जहां चहार जानिब इ़ल्म की रौशनी फैलेगी और जहालत के अन्धेरे छटेंगे, वहीं आप के लिये सदक़ए जारिया का सिलसिला भी हो जाएगा । اِنْ شَآءَ اللہ عَزَّ  وَجَلَّ

'तिकाफ़ की तरग़ीब

          اَلْحَمْدُلِلّٰہ عَزَّوَجَلَّ दा'वते इस्लामी के तह़त रमज़ानुल मुबारक में पूरे माहे रमज़ान और आख़िरी अ़शरे में इजतिमाई़ ए'तिकाफ़ का सिलसिला होता है, आप भी इस ए'तिकाफ़ में शिर्कत की निय्यत कीजिये, इस की बरकत से इ़ल्मे दीन का ढेरों ढेर ज़ख़ीरा ह़ासिल होने के साथ साथ क़ुरआने पाक सह़ीह़ तलफ़्फ़ुज़ से पढ़ना भी सीख जाएंगे । اِنْ شَآءَ اللہ عَزَّوَجَلَّ

          'तिकाफ़ के बे शुमार फ़ज़ाइल हैं । चुनान्चे, मदीने के ताजवर, सुल्त़ाने बह़रोबर صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ का फ़रमाने गौहर निशान है : जो शख़्स अल्लाह عَزَّوَجَلَّ की रिज़ा व ख़ुशनूदी के लिये एक दिन का ए'तिकाफ़ करेगा, अल्लाह عَزَّوَجَلَّ उस के और जहन्नम के दरमियान 3 ख़न्दके़ं ह़ाइल कर देगा जिन की मसाफ़त मशरिक़ो मग़रिब के फ़ासिले से भी ज़ियादा होगी । (الدرالمنثور ج۱ ص۴۸۶)

        मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! ज़रा ग़ौर कीजिये ! कि जो शख़्स अल्लाह عَزَّوَجَلَّ की रिज़ा ह़ासिल करने के लिये एक दिन का ए'तिकाफ़ करेगा, अल्लाह