Book Name:Jannat Ki Baharain
बा'ज़ मआसी या'नी गुनाह याद दिलाएगा । बन्दा अ़र्ज़ करेगा : या रब्बे करीम ! क्या तू ने मुझे बख़्श न दिया ? फ़रमाएगा : हां ! मेरी मग़फ़िरत की वुस्अ़त ही की वज्ह से तू इस मर्तबे को पहुंचा । वोह सब इसी ह़ालत में होंगे कि अब्र छाएगा और उन पर ख़ुश्बू बरसाएगा कि उस की सी ख़ुश्बू उन लोगों ने कभी न पाई थी और अल्लाह पाक फ़रमाएगा कि जाओ उस की त़रफ़ जो मैं ने तुम्हारे लिये इ़ज़्ज़त तय्यार कर रखी है, जो चाहो लो । फिर लोग एक बाज़ार में जाएंगे जिसे मलाइका घेरे हुवे हैं, उस में वोह चीज़ें होंगी कि उन की मिस्ल न आंखों ने देखी, न कानों ने सुनी और न ही क़ुलूब पर उन का ख़त़रा गुज़रा । उस में से जो चीज़ चाहेंगे, उन के साथ कर दी जाएगी और ख़रीदो फ़रोख़्त न होगी । जन्नती उस बाज़ार में आपस में मिलेंगे, छोटे मर्तबे वाला बड़े मर्तबे वाले को देखेगा, उस का लिबास पसन्द करेगा, हुनूज़ या'नी अभी गुफ़्तगू ख़त्म भी न होगी कि ख़याल करेगा कि मेरा लिबास इस से अच्छा है और येह इस वज्ह से है कि जन्नत में किसी के लिये ग़म नहीं । फिर वहां से अपने अपने मकानों को वापस आएंगे, उन की बीबियां (या'नी बीवियां) इस्तिक़्बाल करेंगी, मुबारक बाद दे कर कहेंगी कि आप वापस हुवे और आप का जमाल उस से बहुत ज़ाइद है कि हमारे पास से आप गए थे । जवाब देंगे कि परवर दगार के ह़ुज़ूर हमें बैठना नसीब हुवा, तो हमें ऐसा ही हो जाना सज़ावार था ।
(बहारे शरीअ़त, 1 / 160 (سنن الترمذي، کتاب صفۃ الجنۃ، باب ما جاء في سوق الجنۃ، الحدیث:۲۵۵۸، ج۴، ص۲۴۶،
जन्नती बाहम मिलना चाहेंगे, तो एक का तख़्त दूसरे के पास चला जाएगा । (बहारे शरीअ़त, 1/162 (الترغیب والترھیب، کتاب صفۃ الجنۃ والنار،الحدیث: ۱۱۵، ج۴، ص۳۰۴، और एक रिवायत में है कि उन के पास निहायत आ'ला दरजे की सुवारियां और घोड़ें लाए जाएंगे और उन पर सुवार हो कर जहां चाहेंगे, जाएंगे ।
(बहारे शरीअ़त, 1/162 (سنن الترمذي، کتاب صفۃ الجنۃ،باب ماجاء فيصفۃ خیل الجنۃ،الحدیث:۲۵۵۳، ج۴، ص۲۴۴،
सब से कम दरजे का जो जन्नती है, उस के बाग़ात और बीबियां और नई़म व ख़ुद्दाम और तख़्त हज़ार बरस की मसाफ़त तक होंगे और उन में