Jannat Ki Baharain

Book Name:Jannat Ki Baharain

        इसी त़रह़ क़ुदरत होने के बा वुजूद बदला न लेना भी ऐसा अ़मल है कि इस से न सिर्फ़ मह़ब्बतों के रिश्ते क़ाइमो दाइम रहते हैं बल्कि रोज़े क़ियामत इ़ज़्ज़तों की मे'राज भी नसीब होगी । ह़दीसे पाक में है : जो बदला लेने पर क़ादिर होने के बा वुजूद ग़ुस्सा पी ले, अल्लाह पाक उसे लोगों के सामने बुलाएगा ताकि उस को इख़्तियार दे कि जन्नत की हू़रों में से जिसे चाहे

पसन्द कर ले । (ابن ماجہ، کتاب الزھد، باب الحلم ،حدیث ۴۱۸۶ ،ج۴، ص ۴۶۲) यक़ीनन कल क़ियामत के सख़्त आज़माइश वाले दिन में जब किसी को बुला के अल्लाह पाक इनआमात व इकरामात से नवाज़े, इस से बढ़ कर और क्या हो सकता है ?

बिला ह़िसाब हो जन्नत में दाख़िला या रब !

पड़ोस ख़ुल्द में सरवर का हो अ़त़ा या रब !

(वसाइले बख़्शिश मुरम्मम, स. 82)

        इसी त़रह़ नेकियां बढ़ाने और आख़िरत का सवाब कमाने के लिये क़ुरआने पाक की तिलावत की भी आदत बनानी चाहिये । यक़ीनन इस के सबब जहां रह़मतों और बरकतों के दरवाज़े खुलते हैं, वहीं ह़दीसे पाक में जन्नत के आ'ला मर्तबे पाने की नवीद भी है ।

          फ़रमाने मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ है : क़ुरआन पढ़ने वाले से कहा जाएगा कि क़ुरआन पढ़ता जा और जन्नत के दरजात तै़ करता जा और ठहर

ठहर कर पढ़ जैसा कि तू दुन्या में ठहर ठहर कर पढ़ा करता था, तू जहां आख़िरी आयत पढ़ेगा, वहीं तेरा ठिकाना होगा ।

(سنن ابی داود، کتاب الوتر، باب استحبا ب الترتیل فی القراء ۃ، حدیث ۱۴۶۴ ،ج۲، ص ۱۰۴)  

शाद है फ़िरदौस या'नी एक दिन

क़िस्मते  ख़ुद्दाम  हो  ही  जाएगा

(ह़दाइके़ बख़्शिश, स. 40)

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!        صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد

        मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! देखा आप ने कि दुन्या में ठहर ठहर कर दुरुस्त त़रीके़ से क़ुरआने पाक पढ़ने वाले के वारे ही नियारे हैं । ऐसे शख़्स से