Book Name:Jannat Ki Baharain
- फ़रमाया : क़ुरआन पढ़ो क्यूंकि वोह क़ियामत के दिन अपने अस्ह़ाब के लिये शफ़ीअ़ (या'नी शफ़ाअ़त करने वाला) हो कर आएगा ।
(مسلم ، کتاب صلاۃ المسافرین وقصرہا، باب فضل قراء ۃ القرآن وسورۃ البقرۃ، ص۳۱۴، حدیث:۱۸۷۴)
- फ़रमाया : मेरी उम्मत की अफ़्ज़ल इ़बादत "तिलावते क़ुरआन" है ।
(شعب الایمان للبیہقی، باب فی تعظیم القرآن، فصل فی ارمان تلاوتہ، دون اللفظ تلاوۃ ۲/۳۵۴،حدیث:۲۰۲۲)
٭ क़ुरआने पाक को अच्छी आवाज़ से और ठहर ठहर कर पढ़ना सुन्नत है । (इह़याउल उ़लूम, 1 / 843) ٭ मुस्तह़ब येह है कि बा वुज़ू क़िब्ला रू अच्छे कपड़े पहन कर तिलावत करे । (बहारे शरीअ़त, जिल्द 1, ह़िस्सा 3, स. 550)
ए'लान
तिलावते क़ुरआन के बारे में बक़िय्या अहम मदनी फूल तरबिय्यती ह़ल्क़ों में बयान किये जाएंगे । लिहाज़ा इन मदनी फूलों को जानने के लिये तरबिय्यती ह़ल्क़ों में ज़रूर शिर्कत कीजिये ।