Ghous-e-Azam Ka Khandaan

Book Name:Ghous-e-Azam Ka Khandaan

और (4) पाउं से लंगड़ी (अपाहिज) है, तुम्हें उस से निकाह़ भी करना होगा और दो साल तक मज़ीद मेरी ख़िदमत भी करनी होगी, इस के बाद जहां तुम्हारा जी चाहे चले जाना

          ह़ज़रते अबू सालेह़ मूसा जंगी दोस्त رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ चूंकि इस्लामी तालीमात से आगाह और ख़ौफे़ ख़ुदा के पैकर थे, लिहाज़ा आप ने इस शर्त़ को भी क़बूल फ़रमा लिया, चुनान्चे, अब आप का दूसरा इम्तिह़ान भी शुरूअ़ हो गया ह़ज़रते अ़ब्दुल्लाह सौमई़ رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ ने अपनी शहज़ादी का निकाह़ ह़ज़रते अबू सालेह़ से कर दिया, निकाह़ के बाद जैसे ही आप رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ का अपनी बीवी से आमना सामना हुवा, तो आप एक अ़जीब सी कश्मकश में मुब्तला हो गए क्यूंकि निगाहों के सामने जो मन्ज़र दिखाई दे रहा था वोह बताई गई सूरते ह़ाल के बिल्कुल ही उलट (Opposite) था, क्या देखते हैं कि ज़ौजए मोह़तरमा رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہَا के तो तमाम ही आज़ा दुरुस्त हैं येह मन्ज़र देख कर ह़ज़रते अबू सालेह़ رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ अपनी नई नवेली दुल्हन के क़रीब तक गए और वहीं से वापस पलट आए फिर ह़ज़रते अ़ब्दुल्लाह सौमई़ رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ से मुआ़मला बयान किया उन्हों ने फ़रमाया : परेशान होने की ज़रूरत नहीं ! तुम्हारी ज़ौजा वोही है जिसे तुम अभी अभी देख कर रहे हो बात दरअस्ल येह है कि मैं ने अपनी लड़की के तअ़ल्लुक़ से जो जो बातें तुम से बयान की थीं वोह सब की सब उस में मौजूद हैं वोह आंखों से अन्धी है, इस से मेरी मुराद येह थी कि "ना मह़रम के लिए उस की आंखें अन्धी हैं" कानों से बेहरी है, इस से मेरी मुराद येह थी कि "नाह़क़ बात सुनने के लिए उस के कान बेहरे हैं" हाथों से माज़ूर है, इस से मेरी मुराद येह थी कि   "ग़ैर मर्दों को छूने के लिए उस के हाथ माज़ूर हैं" और पाउं से माज़ूर है इस से मेरी मुराद येह थी कि "अपने शौहर के ह़ुक्म के ख़िलाफ़ क़दम उठाने के लिए उस के पाउं लंगड़े हैं " जब अबू सालेह़ رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ ने ह़ज़रते अ़ब्दुल्लाह सौमई़ की ज़बाने मुबारक से अपनी नई नवेली दुल्हन के बारे में येह दिल नशीन वज़ाह़तें सुनीं, तो आप के दिल को क़रार गया, आप के दिल में अपनी ज़ौजा की अहम्मिय्यत उजागर हो गई और अल्लाह पाक के फ़ज़्लो करम से ह़ज़रते अबू सालेह़ رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ को अपने ज़माने के ज़बरदस्त वली की बहुत सी अच्छी ख़ूबियों से आरास्ता ख़ूबसूरत और ख़ूब सीरत बेटी का शौहर बनने का शरफ़ नसीब हुवा (सीरते ग़ौसे आज़म, . 26, मुलख़्ख़सन)

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!       صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

          प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! बयान कर्दा वाक़िए़ से हमें बहुत सी मालूमात ह़ासिल हुईं आइए ! अहम मालूमात की मेहकी मेहकी ख़ुश्बूओं से हम भी अपना ह़िस्सा लेने के लिए निहायत तवज्जोह के साथ उन्हें सुनती हैं

)1(...अल्लाह पाक के नेक बन्दे, बन्दों के ह़ुक़ूक़ के मुआ़मले में इन्तिहाई मोह़तात़ होते हैं, अल्लाह पाक के नेक बन्दे ख़ौफे़ ख़ुदा वाले होते हैं, अल्लाह पाक के नेक बन्दे फ़िक्रे आख़िरत की नेमत से मालामाल होते हैं, एक ना मालूम सेब खाने के बारे में अपना मुह़ासबा करना भी अल्लाह पाक के नेक बन्दों की आ़दात में शामिल था, अल्लाह पाक के नेक बन्दे अपने क़ुसूर को मुआ़फ़ कराने की ख़ात़िर सख़्त से सख़्त ह़ालात से भी गुज़रते हैं